प्रेम के कितने रंग (कहानी संग्रह) 3 years ago

Romance 0 Chapter Created 168 Reads 0 Likes

वश चलता तो सूर्य देवता को खींच कर सामने ला देती, आज चांद की शीतलता से कही ज़्यादा सूर्य की तपिश से प्रीति लगी थी ..शीघ्र दिन उगे और मैं कॉलेज जाऊं, पहली बार मेरे आईने को भाव मिला था वरना वो उपेक्षित एक तरफ़ टंगा रहता था..कभी कानों की बालियां ठीक करती तो कभी अपनी पसंदीदा गुलाबी ओढ़नी..आज थोड़ा पाउडर भी लगाया लेकिन भक्क़ सफ़ेदी से घबरा कर पोछ दिया, हम छोटे शहरों वाली लड़कियों को अपने घर से ज़्यादा पास पड़ोस की बुआ चाची की नज़रों से बचना पड़ता था..

Anamika anoop Tiwari

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