लाल रंग के परदे के पीछे की खिड़की में रखी मेरी दवाइयां और टेबल पर रखे मेरे खाने पीने की चीजें और मेरे बर्तन जिन्हें में स्वामी साफ करता रहा यही मेरे साथ ही थे जिनके साथ में रह रहा था वैसे यह सब चीजें एक तरफ थी और मेरा मोबाइल या जिसमें पूरा संसार समाया हुआ थाशादी में एक बंद पंखा रोशनी देती टुयूबलाइटवैसे में मोबाइल से बचने की कोशिश करता था लेकिन आप चाहे बीमार हूं या नहीं हूं आपकी जिंदगी में कभी ना बन चुका है ऐसा लगता है जैसे इसी के लिए जी रहे हैं शरीर के लिए याद मा से कम नहीं है हम इसके बिना तो ऐसे हैं जैसे बिना आत्मा का शरीर फिर ऐसे वक्त में तो मेरा बड़ा सहारा भी बना क्योंकि इससे लोगों से जुड़ने का जरिया था संगीत सुनना मूवी देख रहा कुछ भी मोटिवेशन सुनना होता तो इसका यूज करना पड़ता था इसी के जरिए ही एक घोड़े पर आपकी सुनो महाभारत के जरिए मैंने मैंने पूरी महाभारत सोनी पूरे १८ अध्याय जिसके बारे में मुझे बिल्कुल नहीं बताया था पहले जो मैंने महाभारत देखी थी वह मैंने सुनी नहीं थी मैंने इससे सुनकर जाना कि एक एक पात्र का नाम महाभारत का सही अर्थ अब समझा था मैंने और साथ में यह गलतफहमी दूर हो गई थी यहां पर महाभारत के बारे में जानता हूं वैसे मैंने बस महाभारत सुनी थी लेकिन मैंने तो जो स्टार प्लस पर देखी थी वही सभी पार करके मेरे सामने गए थे जो कि मैंने देखे तो थे चाहे वह अर्जुन हो चाहे दूर भी हो सारे के सारे स्टार प्लस महाभारत के पात्रो की चेहरे मेरे इस महाभारत में महाभारत शेखर पूरा जीवन दर्शन है लेकिन मुझे पूरी महाभारत में आखिरी अध्याय में ९८ वर्ग में भगवान इंद्र द्वारा राजा युधिष्ठिर को कही गई बात सबसे अच्छी लगी कि तुमने विजय से जैकी यात्रा दौर से महावीर की याचा और अहंकार से आत्मा की यात्रा को ही महाभारत करते हैं और इसी के साथ महाभारत महाकाव्य का समापन होता हैइस पूरी महाभारत में वेदव्यास जी १८ का विवरण बार-बार करते हैं क्योंकि महाभारत महाकाव्य १८ पर्व है कुरुक्षेत्र के युद्ध में १८ दिनों तक होता है इसमें १८ सेनाओं ने भाग लिया और श्रीमद भगवत गीता में भी १८ अध्याय हैं इसमें ऐसा क्या रहस्य है इसके या अभी ऑडिबल सुनो और महाभारत के १८ १० होने और जीवन का आनंद लेडिबल ओरिजिनल पर मैंने हिंदी सिनेमा के नाभि अभिनेता पंकज त्रिपाठी को भी सुना उनका घंटे का इंटरव्यू था जो मैंने पूरा सुना और जाना कि बिहार की छोटे से गांव से चलकर दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले कर फिर मुंबई जाकर बड़े संघर्ष के बाद एक अभिनेता बने उनके इंटरव्यू से भी मैंने एक चीज सीखी जीवन में हमेशा साधारण बने रहना बहुत मुश्किल है और बात पंकज त्रिपाठी जी मेथीपकज जी ने बताया कि कैसे गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद लोगों ने जानने लगे कि दर्शक के तौर पर मेरी नजर पंकज बहुत पहले से थी उनकी एक्टिंग कितने नेचुरल है लगता ही नहीं कि एक्टिंग किया रोल में है उनकी बहुत सौ फिल्में देखी हैं आप सभी ने भी देखी होगी फुकरे स्त्री गैंग्स ऑफ वासेपुर अभी हाल ही में तो उनकी वेब सीरीज मिर्जापुर में कितनी मैया के रोल में तो ने धूम मधा रखी है अभी मिर्जापुर वेब सीरीज का दूसरा पाठ भी आया है अभी है अभी हमने उसका पहला एपिसोड देख पाया हकिर अच्छा लगा उनके बारे में जानकारी मोटिवेशन भी मिला कि कभी किसी के हालात में हिम्मत नहीं आनी चाहिए और एक और चीज सीखी की जीवन में अभाव का होना बहुत जरूरी है तभी तो इन चीजों का मॉल और में तो समझ में आएगा जो हमारे पास नहीं है उसके पानी में वह जो मेहनत और परिश्रम ममेगा वही तो असली जीवन हैअब पीरे पीरे जी जीवन हैअब धीरे धीरे जी । दिन समय सब अनुराधा लगने लगा था कि मैं अब ठीक हो रहा हूं दिवाली की रोशनी से शुरू हुआ उससे अब धीरे धौरे सामान्य रूप से लौट रहा था इसका पता रात के समय सीढियों से ऊपर जाने पर दरवाजा खोलकर देखने से होता